सत्यता की विजय | the victory of truth
एक वक्त की बात यह है,कि एक अच्छे गाँव में एक कृषक रहता था जिसका नाम अंगद था। अंगद न केवल अपने खेतों खलिहनो में कठिन परिश्रम करने के लिए जाना जाता था, बल्कि उसकी ईमानदारी और सचाई के लिए भी प्रसिद्ध था।
अंगद के घर के बगल मे ही,एक सुरेश नाम का आदमी रहता था , जो बहुत ही चतुर और धोखेबाज था। सुरेश हमेशा अपने स्वार्थ के लिए दूसरों को धोखा देता था। एक दिन, सुरेश ने सोचा कि अगर वह अंगद को फँसा सके, तो उसके खेत भी हथिया सकता है। उसने एक तरकीब बनाई और गाँव के प्रधान के पास गया। उसने प्रधान से कहा कि अंगद ने उसके खेत से सोना चुराया है।
प्रधान ने दोनों को बुलाया और पूछा, “क्या यह सही बात है, अंगद ?”
अंगद ने साफ कह दिया , “नहीं, प्रधान जी। मैंने कभी भी सोना नहीं चुराया।”
प्रधान ने यह निश्चय किया कि सच्चाई का पता लगाने के लिए दोनों के खेतों की जांच किया जाएगा। सुरेश ने अपने खेत में पहले से ही कुछ सोना छुपा दिया था ताकि अंगद को फँसाया जा सके। तलाशी के दौरान, प्रधान को सुरेश के खेत में सोना मिला और उसने अंगद को दोषी ठहराया।
अंगद को जेल में डाल दिया गया, लेकिन उसने हार नहीं मानी। अंगद ने भगवान से प्रार्थना की और सच्चाई की जीत की उम्मीद में रहा।
कुछ समय बाद, गाँव में एक बहुत ही होशियार व्यक्ति आया। उसने गाँव के लोगों से कहा कि वह सच्चाई और न्याय के बारे में बहुत कुछ जानता है और वह अंगद की सच्चाई का पता लगाने में मदद कर सकता है।
उसने प्रधान से कहा, “मुझे अंगद के खेतों की तलाशी लेने दीजिए।”
प्रधान ने हामी भर दी और होशियार व्यक्ति ने अंगद के खेतों की गहराई से तलाशी ली। उसने पाया कि जमीन के नीचे एक पुराना बक्सा दबा हुआ था जिसमें बहुत सारा सोना था। इस बक्से पर अंगद के पूर्वजों का नाम लिखा हुआ था।
होशियार व्यक्ति ने सबको बताया कि अंगद के पूर्वजों ने यह सोना यहाँ छिपाया था और अंगद निर्दोष है। उसने सुरेश की चालबाज़ी का भी पर्दाफाश किया और सुरेश को सजा मिली।
गाँव के लोग अंगद की ईमानदारी और सत्यता की प्रशंसा करने लगे। अंगद ने सत्यता की विजय का सबसे बड़ा उदाहरण प्रस्तुत किया और गाँव में फिर से शांति और विश्वास लौट आया।




